कुरआन की सीख

कुरआन की सीख



इस्लामी समाज का मिशन

जमाने की कसम। 
इंसान दर हकीकत घाटे में  हैं। 
सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाएं
और नेक आमाल करते रहें और 
एक दूसरे को हक की नसीहत और 
सब्र की तलकीन करते रहें। 
  अस्र  103: 1-3

अल्लाह के नजदीक दीन सिर्फ  इस्लाम है ।
 आले इमरान  3: 19

हकीकत में तो मोमिन वे हैं जो अल्लाह और उसके रसूल (स.अ.व.) पर ईमान लाए फिर उन्होंने कोई शक न किया और अपनी जानों और मालों से अल्लाह की राह में जेहाद किया, वे ही सच्चे लोग हैं। 
                                                 हुजुरात  49: 15

सब मिलजुलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़ लो और तफरके (विवाद, विभेद) में न पड़ो। 
                                              आले इमरान  3: 103

और इसी तरह हमने मुसलमानों को एक ''उम्मते वस्त'' (एक ऐसा ऊंचे दर्जे का गिरोह जो इन्साफ और मध्यम मार्ग पर चले जिसका ताल्लुक सबके साथ एक से अधिकार और सच्चाई के साथ हो) बनाया है ताकि तुम दुनिया के लोगों पर गवाह रहो और रसूल तुम पर गवाह है। 
                                                         बकर  2: 143
अब दुनिया में वह बेहतरीन गिरोह तुम हो जिसे इन्सानों की हिदायत और सुधार के लिए मैदान में लाया गया है। तुम नेकी का हुक्म देते हो, बदी से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो। 
                                                      आले इमरान 3: 110
उसने (अल्लाह) ने तुम्हारे लिए दीन का वही तरीका मुकर्रर किया है जिसका हुक्म उसने नूह को दिया था और जिसे (ऐ मुहम्मद स.अ.व) अब तुम्हारी तरफ  हमने वही के जरिए से भेजा है और जिसकी हिदायत हम इब्राहीम और मूसा और ईसा को दे चुके हैं, इस ताकीद के साथ ही कायम करो इस दीन को और इसमें विभाजित न हो जाओ।  
                                                    शूरा 42: 13

हकीकत यह है कि अल्लाह किसी कौम के हाल नहीं बदलता जब तक वह खुद अपने आपको नहीं बदल देती। 
                                                   रअद- 13: 11

ब्याज (सूद)

मगर जो लोग सूद (ब्याज) खाते हैं उनका हाल उस आदमी का सा होता है जिसे शैतान ने छूकर बावला कर दिया हो। और इस हालत में उनके शामिल होने की वजह यह है कि वे कहते हैं  'तिजारत (व्यापार) भी तो ब्याज ही जैसी चीज है' हालांकि अल्लाह ने व्यापार को हलाल  किया है और ब्याज को हराम (अवैध, कानून के विरूद्ध) ठहराया है। इसलिए जिस आदमी को उसके रब की तरफ  से यह नसीहत पहुंचे और वह ब्याज खाने से बाज (रुक) आ जाए तो जो कुछ पहले खा चुका सो खा चुका उसका मामला अल्लाह के हवाले है, और जो इस हुक्म के बाद फिर यही कर्म किया तो वह जहन्नुमी है जहां वह हमेशा रहेगा। अल्लाह सूद (ब्याज) को घटाता है और दान (सदकात) को बढ़ाता है। ऐ लोगो जो ईमान लाए हो, अल्लाह से डरो, और जो कुछ तुम्हारा ब्याज लोगों पर बाकी रह गया है, उसे छोड़ दो अगर सच में ईमान लाए हो। लेकिन अगर तुम ने ऐसा नहीं किया तो जान लो कि अल्लाह और उसके रसूल (स.अ.व.) की तरफ  से तुम्हारे खिलाफ  जंग का ऐलान है। और अगर तौबा (अल्लाह से माफी) कर लो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है। न तुम जुल्म करो न तुम पर जुल्म किया जाए। तुम्हारे कर्जदार तंगदस्त (चुकाने की क्षमता न हो) हो तो हाथ खुलने तक उसे मोहलत दो और जो सदका (दान) कर दो तो यह तुम्हारे लिए ज्यादा अच्छा है, अगर तुम समझो। 
                                                          बकर 2: 275-280
 खयानत
और एक दूसरे का माल ना हक न खाया करो, ना हाकिमों (अधिकारियों) को रिश्वत पहुंचा कर किसी का कुछ माल जुल्म व सितम से हड़प लिया करो।
                                                      बकर 2: 188

अगर तुम में से कोई व्यक्ति दूसरे पर भरोसा करके उसके साथ मामला करे तो जिस पर भरोसा किया गया है उसे चाहिए कि अमानत अदा करे और अपने रब से डरे और गवाही (शहादत) हरगिज न छिपाओ। 
                                                     बकर  2: 283
और जो कोई खयानत (उसके पास छोड़ा हुआ माल या वस्तु हड़प ले) करे तो वह अपनी खयानत समेत कयामत के दिन हाजिर हो जाएगा। हर व्यक्ति को उसकी कमाई का पूरा बदला मिल जाएगा। 
                                               आले इमरान 3: 161


नाप तोल में धोखाधड़ी

तबाही है डंडी मारने वालों के लिए जिनका हाल यह है कि जब लोगों से लेते हैं तो पूरा-पूरा लेते हैं, और जब उनको नाप कर या तौल कर देते हैं तो उन्हें कम देते हैं।
   मुतफ्फिफीन  83: 1-3


और नाप तोल में इंसाफ  करो। जब बात कहो तो इंसाफ की कहो भले मामला रिश्तेदार ही का क्यों न हो ।
            अनआम  6: 153



हमने अपने रसूलों को साफ  साफ  निशानियों और हिदायत (मार्गदर्शन) के साथ भेजा और उनके साथ किताब और मिजान (तराजू, नाप तोल और इंसाफ  का स्तर, सच और झूठ का वह मियार जो तोल तोल कर बता देता है कि मानव जीवन व्यवस्था इंसाफ पर स्थापित रहे।) उतारा ताकि लोग इंसाफ  पर डटे (कायम) रहें ।
                                                              हदीद 57: 25
  
 जमाखोरी और मुनाफाखोरी

बड़ी तबाही है उस आदमी के लिए जो लोगों पर ताने और उनकी बुराइयां करता है। जिसने माल जमा किया और उसे गिन गिन कर रखा। वह समझता है कि उसका माल हमेशा उसके पास रहेगा। हरगिज नहीं वह आदमी तो चकनाचूर करे देने वाली जगह में फेंक दिया जाएगा। और तुम क्या जानो चकनाचूर कर देने वाली जगह?  अल्लाह की आग खूब भड़काई हुई जो दिलों तक पहुंचेगी । 
                                          हु-म-जह 104: 1-7
और जो लोग सोने चांदी का खजाना रखते हैं। और अल्लाह की राह (रास्ते) में खर्च नहीं करते उन्हें दर्दनाक अजाब की खबर पहुंचा दीजिए। 
                                             तौबा 9: 34
चोरी की सजा
और चोर, औरत हो या मर्द दोनों के हाथ काट दो यह उनकी कमाई का बदला है। और अल्लाह की तरफ  से सबक देने वाली सख्त सजा है। 
      माइदा 5: 38

वही है जिसने तुमको जमीन का खलीफा बना दिया और  तुम में से कुछ लोगों के दर्जे कुछ लोगों की तुलना में ऊंचे रखे ताकि जो कुछ उसने तुमको दिया है उसमें तुम्हारी आजमाइश (परीक्षा) करे। 
                                                 अनआम 6: 165

और एक दूसरे का माल ना हक न खाया करो, ना हाकिमों (अधिकारियों) को रिश्वत पहुंचा कर किसी का कुछ माल जुल्म व सितम से हड़प लिया करो।
                                                   बकर 2: 188
अगर तुम में से कोई व्यक्ति दूसरे पर भरोसा करके उसके साथ मामला करे तो जिस पर भरोसा किया गया है उसे चाहिए कि अमानत अदा करे और अपने रब से डरे और गवाही (शहादत) हरगिज न छिपाओ। 
                                            बकर  2: 283
 और जो कोई खयानत (उसके पास छोड़ा हुआ माल या वस्तु हड़प ले) करे तो वह अपनी खयानत समेत कयामत के दिन हाजिर हो जाएगा। हर व्यक्ति को उसकी कमाई का पूरा बदला मिल जाएगा। 
                                         आले इमरान 3: 161



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