शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

टोनी ब्लेयर की साली मुसलमान बनी

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की साली ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर लिया है. चेरी ब्लेयर की बहन लौरेन बूथ ने पिछले दिनों  इस्लाम कबूल करने की घोषणा की. बूथ पेशे से पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 43 साल की बूथ ने इस्लाम कबूल करने की बात लंदन में पिछले दिनों  सामाजिक संगठन ग्लोबल पीस एंड यूनिटी 2010 के बैनर तले हुए एक कार्यक्रम में उजागर की. कई इस्लामिक  नेताओं की मौजूदगी में बूथ ने बताया कि उन्होंने यह फैसला उन लोगों की धारणा बदलने के लिए किया है जो इस्लाम को आतंकवाद फैलाने वाला मानते हैं.
http://www.dw-world.de/dw/article/0,,6147468,00.html

रविवार, 5 सितंबर 2010

सोच-समझकर इस्लाम चुना

आमिना थॉमस
(भूतपूर्व ‘अन्नम्मा थॉमस’)
ईसाई पादरी की बेटी
केरल, भारत
क़ुरआन और बाइबल के तुलनात्मक अध्ययन और सच्चे दिल से अल्लाह के सामने दुआ ने इस्लाम की ओर झुके हुए मेरे दिल को ताक़त दी और मैं अन्दर ही अन्दर मुसलमान हो गई।
  मैं दक्षिणी भारत के एक प्रोटेस्टेंट ईसाई घराने में पैदा हुई और पली-बढ़ी। लेकिन अब मैं बहुत ख़ुश हूं कि मैं एक मुस्लिम औरत हूं। केवल संयोगवश मुसलमान नहीं बनी, बल्कि ख़ूब सोच-समझकर मैंने इस्लाम का चयन किया है। संसार के पालनहार, जिसने सही रास्ते अर्थात् इस्लाम की ओर मेरा मार्गदर्शन किया, उसका मैं जितना भी शुक्र अदा करूं, कम है। मेरा इस्लाम क़बूल करना विभिन्न धर्मों के तुलनात्मक अध्ययन का परिणाम है।

रविवार, 29 अगस्त 2010

तीन हजार अमेरिकी सैनिकों ने अपनाया इस्लाम

नमाज़ अदा करते अमेरिकी मुस्लिम सैनिक
डॉ. अबू अमीना बिलाल फीलिप्
क्या आपने भी सुना था कि खाड़ी युद्ध के दौरान तीन हजार अमेरिकी सैनिकों ने इस्लाम अपना लिया था। यह सच है। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस बदलाव के पीछे कौन हैं? जिन लोगों ने इस्लाम की यह दावत इन अमेरिकी सैनिकों तक पहुंचाई उनमें से एक अहम शख्सियत हैं डॉ. अबू अमीना बिलाल फीलिप्स। अबू अमीना फीलिप्स जमैका में जन्मे और पढ़ाई कनाड़ा में की । फिलहाल वे दुबई अमेरिकन यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे हैं। अबू अमीना पहले ईसाई थे लेकिन 1972 में इस्लाम अपनाकर वे मुस्लिम बन गए।

शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

एक साथ तीन पादरी मुसलमान



अमेरिका के तीन ईसाई पादरी इस्लाम की शरण में आ गए। उन्हीं तीन पादरियों में से एक पूर्व ईसाई पादरी यूसुफ एस्टीज की जुबानी कि कैसे वे जुटे थे एक मिस्री मुसलमान को ईसाई बनाने में, मगर जब सत्य सामने आया तो खुद ने अपना लिया इस्लाम।
 बहुत से लोग मुझसे पूछते हैं कि आखिर मैं एक ईसाई पादरी से मुसलमान कैसे बन गया? यह भी उस दौर में जब इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ हम नेगेटिव माहौल पाते हैं। मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूं जो मेरे इस्लाम अपनाने की दास्तां में दिलचस्पी ले रहे हैं। लीजिए आपके सामने पेश है मेरी इस्लाम अपनाने की दास्तां-
  मैं मध्यम पश्चिम के एक कट्टर इसाई घराने में पैदा हुआ था। सच्चाई यह है कि मेरे परिवार वालों और पूर्वजों ने अमेरिका में कई चर्च और स्कूल कायम किए। 1949 में जब मैं प्राइमेरी स्कूल में था तभी हमारा परिवार टेक्सास के हाउस्टन शहर में बस गया।

रविवार, 4 अप्रैल 2010

एक अमेरिकी पादरी जिसने इस्लाम कबूल किया

       जेसॉन क्रुज,पूर्व ईसाई पादरी
अल्लाह का शुक्र है कि मुझे अल्लाह ने 2006 में इस्लाम रूपी बेशकीमती ईनाम से नवाजा। जब भी कोई मुझसे यह पूछता है कि मैं कैसे इस सच्चे धर्म की तरफ आया तो मैं झिझक जाता हूं। क्योंकि यह मेरी काबलियत नहीं बल्कि यह अल्लाह ही की हिदायत और रहमत है कि उसने मुझे सच्ची राह दिखाई। बिना अल्लाह की मर्जी और रहमत के कोई इस सच्चे मार्ग की तरफ नहीं आ सकता।
मैं न्यूयॉर्क के एक कैथोलिक परिवार में पैदा हुआ। मेरे माता और पिता रोमन कैथोलिक थे। हम इतवार को चर्च जाते थे। पहले मैंने ईसाई धर्म की शिक्षा ली,ईसा मसीह के स्मरणार्थ पहले भोज में शामिल हुआ और फिर मैंने रोमन कैथोलिक चर्च की सदस्यता कबूल कर ली। जब मैं जवान हुआ तो मुझे परमेश्वर की ओर से मार्गदर्शन के संकेत का अहसास होने लगा। इसका अर्थ मैंने यह लगाया कि यह मेरे लिए रोमन कैथोलिक पादरी बनने का मैसेज है। मैंने यह बात अपनी मां को बताई तो वह बहुत खुश हुई और वह मुझे हमारे इलाके के पादरी के पास ले गई।
इसे दुर्भाग्य मानें या सोभाग्य कि यह ईसाई पादरी अपने पेशे से खुश नहीं था और इसने मुझे पादरी बनने के विचार से ही दूर रहने की सलाह दी। इससे मैं विचलित हुआ। इस बीच परमेश्वर के शुरूआती मैसेज के अहसास को भूला देने,अपनी मूर्खता और किशोर अवस्था के चलते मैंने एक अलग ही रास्ता चुन लिया। बदकिस्मती से जब मैं सात साल का था तो मेरा परिवार बिखर गया। मेरे माता-पिता के बीच तलाक हो गया और मैं अपने पिता से दूर हो गया।