इस्लाम पर आरोप लगाया जाता है कि यह महिलाओं को उनका हक नहीं देता। अगर आप भी ऐसी ही सोच रखते हैं तो आपको यह किताब जरूर पढऩी चाहिए। यह किताब पढि़ए और जानिए आखिर विकसित देशों की इन पढ़ी लिखी महिलाओं ने इस्लाम क्यों अपना लिया?
आखिर इस्लाम में इनको ऐसा क्या लगा कि इन्होंने अपना मूल धर्म छोड़कर इसे कबूल किया और कई तरह की परेशानियों के बावजूद वे इस्लाम पर डटी रहीं। इनको कई तरह से प्रताडि़त किया गया और इनको काफी कुछ खोना भी पड़ा लेकिन इन्होंने इस्लाम का दामन नहीं छोड़ा।इस किताब में जिक्र है दुनिया के विकसित मुल्कों से ताल्लुक रखने वाली अस्सी शिक्षित महिलाओं का जिन्होंने इस्लाम अपनाया।
किताब का नाम है- हमें खुदा कैसे मिला।
पढि़ए इस किताब को और सच्चाई से रूबरू होइए।
आखिर इस्लाम में इनको ऐसा क्या लगा कि इन्होंने अपना मूल धर्म छोड़कर इसे कबूल किया और कई तरह की परेशानियों के बावजूद वे इस्लाम पर डटी रहीं। इनको कई तरह से प्रताडि़त किया गया और इनको काफी कुछ खोना भी पड़ा लेकिन इन्होंने इस्लाम का दामन नहीं छोड़ा।इस किताब में जिक्र है दुनिया के विकसित मुल्कों से ताल्लुक रखने वाली अस्सी शिक्षित महिलाओं का जिन्होंने इस्लाम अपनाया।
किताब का नाम है- हमें खुदा कैसे मिला।
पढि़ए इस किताब को और सच्चाई से रूबरू होइए।
6 टिप्पणियाँ:
परेशान व्यक्ति हर दिशा में भागता है.
सत्य साहब
ये परेशान महिलाएं नहीं हैं। सभी शिक्षित और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती हैं। अगर आप यह किताब पढ़ते तो इस तरह की टिप्पणी नहीं करते। अपने नाम के मुताबिक सत्य बात करें, ताकि आपका नाम सार्थक लगे।
अच्छी जानकारी दी आपने...
hamari वाणी की maarifat aaya .
aane wale to aa jayen par ham bhi to apna sudhar karen.
Islam acept kar ne par koi jor jabar dasti nai log islam ko dil se. Acept karte hr
Islam acept kar ne par koi jor jabar dasti nai log islam ko dil se. Acept karte hr
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