सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

पादरी जो मुसलमान हो गया

इब्राहिम खलील अहमद जिनका पुराना नाम खलील फिलोबस था, पहले इजिप्ट के कॉप्टिक पादरी थे। फिलोबस ने धर्मशास्त्र में प्रिंसटोन यूनिवर्सिटी से एम ए किया। इस्लाम को गलत रूप में पेश करने के मकसद से फिलोबस ने इसका अध्ययन किया। वे इस्लाम में कमियां ढूढना चाहते थे लेकिन हुआ इसका उलटा। वे इस्लाम से बेहद प्रभावितहुए और उन्होने अपने चार बच्चों के साथ इस्लाम कबूल कर लिया।
जानिए खलील इब्राहिम आखिर कैसे आए इस्लाम की गोद में?मैं १३जनवरी १९१९को अलेक्जेन्डेरिया में पैदा हुआ था। मैंने सैकण्डरी तक की शिक्षा अमेरिकन मिशन स्कूल से हासिल की। १९४२ में डिप्लोमा हासिल करने के बाद मैंने धर्मशास्र में स्पेशलाइजेशन के लिए यूनिवर्सिटी में एडमिशान लिया। धर्मशास्र में प्रवेश लेना आसान नहीं था। चर्च की खास सिफारिश पर ही इस विभाग में एडमिशन लिया जा सकता था और इसके लिए एक मुशिकल परीक्षा से भी गुजरना पडता था। मेरे लिए अलेक्जेन्डेरिया अलअटारिन चर्च ने सिफारिश की और लॉअर इजिप्ट की चर्च असेम्बली ने भी मेरा इम्तिहान लिया।

रविवार, 9 जनवरी 2011

अब मैं मुस्लिम के रूप में ही जीना चाहती हूं

वे कट्टर ईसाई थीं। लेकिन जब इस्लाम का अध्ययन किया और इस्लाम के रूप में सच्चाई सामने आई तो इसे अपना लिया।
पूर्व पादरी, मिशनरी, प्रोफेसर और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री धारक खदीजा स्यू वेस्टन की जुबानी कि आखिर वे किस तरह इस्लाम की आगोश में आईं।
  यह तुम्हें क्या हो गया है? यह पहली प्रतिक्रिया होती थी जब इस्लाम अपनाने के बाद पहली बार मेरे क्लास के साथी, दोस्त और साथी पादरी मुझसे मिलते थे।
मुझे लगता मैं उनको दोष नहीं दे सकती थी। धर्म बदलने की वजह से मैं उनके लिए सबसे ज्यादा नापसंदीदा बन गई थी। पहले मैं प्रोफेसर, पादरी, चर्च प्लांटर और मिशनरी थी। धर्म के मामले में मैं बेहद कट्टर थी।    बात तब की है जब मैंने पादरियों की एक विशेष शिक्षण संस्था से ग्रेजुएशन के बाद धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री ली ही थी। इसके छह महीने बाद ही मेरी मुलाकात एक महिला से हुई जो सऊदी अरब में काम करती थी और वह इस्लाम अपना चुकी थी। मैंने उस महिला से जाना कि इस्लाम में महिलाओं को किस तरह की हैसियत और अधिकार दिए गए हैं? उसका जवाब जानकर मुझे बेहद हैरत हुई। दरअसल मैं नहीं जानती थी कि इस्लाम में महिलाओं को इतना ऊंचा मुकाम दिया गया है।