गुरुवार, 2 अगस्त 2012

ईसाई पादरी अपना रहे हैं इस्लाम

शायद आप यकीन ना करें लेकिन हकीकत यही है कि इस्लाम की गोद में आने वाले लोगों में एक बड़ी तादाद ईसाई  पादरियों की है। यह किताब इसी सच्चाई को आपके सामने पेश करती है। यह ईसाई किसी एक मुल्क या इलाके  विशेष के नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों के हैं। अंगे्रजी की इस किताब में 18  ईसाई पादरियों का जिक्र हैं जिन्होंने सच्चे दिल से इस्लाम की सच्चाई को कुबूल किया और ईसाईयत को छोड़कर इस्लाम को गले लगा लिया।
इस किताब में इनके वे इंटरव्यू शामिल किए गए हैं जिसमें उन्होंने बताया कि आखिर उन्होंने इस्लाम क्यों अपनाया। उनकी नजर में इस्लाम में ऐसी क्या खूबी थी कि उन्होंने पादरी जैसे सम्मानित ओहदे का त्यागकर इस्लाम को अपना लिया।
पुस्तक  में शामिल ये अट्ठारह पादरी ग्यारह  देशों  के हैं। इनमें शामिल हैं अमेरिका के यूसुफ एस्टीज, उनके  पिता, मित्र पेटे, स्यू वेस्टन, जैसन कू्रज, राफेल नारबैज, डॉ. जेराल्ड डिक्र्स, एम. सुलैमान, कनाडा के डॉ. गैरी मिलर, ब्रिटेन के इदरीस तौफीक, ऑस्ट्रेलिया के सेल्मा ए कुक, जर्मनी के डॉ. याह्या ए.आर. लेहमान, रूस के विचैसलव पॉलोसिन, इजिप्ट के इब्राहीम खलील, स्पैन के एंसलम टोमिडा, श्रीलंका के जॉर्ज एंथोनी , तंजानिया के मार्टिन जॉन और ब्रूंडी की मुस्लिमा।
  • इस्लाम अपनाने वाले ये पादरी वे हैं जिन्होंने हाल ही के दौर में इस्लाम को अपनाया। पढि़ए इस किताब को और जानिए इस्लाम की सच्चाई इन पूर्व पादरियों की जुबान से।
  • इस किताब को यहां पेश करने का मकसद इस्लाम से जुड़ी लोगों की गलतफहमियां दूर करना और इस्लाम की सच्चाई को बताना है, मकसद किसी भी मजहब का मजाक उड़ाना नहीं है।
  • क्लिक कीजिए और रूबरू होइए इस किताब से

    Eighteen Priests Journey From Church to Mosque

बुधवार, 1 अगस्त 2012

इस इसाई पादरी ने आखिर अपना धर्म क्यों बदल लिया?

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ब्रिटेन के पूर्व कैथोलिक ईसाई पादरी इदरीस तौफीक कुरआन से इतने हुए कि उन्होंने इस्लाम कुबूल कर लिया।
ईमानवालों के साथ दुश्मनी करने में यहूदियों और बहुदेववादियों को तुम सब लोगों से बढ़कर सख्त पाओग। और ईमानवालों के साथ दोस्ती के मामले में सब लोगों में उनको नजदीक पाओगे जो कहते हैं कि हम नसारा (ईसाई) हैं। यह इस वजह से है कि उनमें बहुत से धर्मज्ञाता और संसार त्यागी संत पाए जाते हैं और इस वजह से कि वे घमण्ड नहीं करते।
जब वे उसे सुनते हैं जो रसूल पर अवतरित हुआ है तो तुम देखते हो कि उनकी आंखें आंसुओं से छलकने लगती हैं। इसका कारण यह है कि उन्होंने सच्चाई को पहचान लिया है। वे कहते हैं-हमारे रब हम ईमान ले आए। अत तू हमारा नाम गवाही देने वालों में लिख ले।          (सूरा:अल माइदा ८२-८३)
कुरआन की ये वे आयतें है जिन्हें इंग्लैण्ड में अपने स्टूडेण्ट्स को पढ़ाते वक्त इदरीस तौफीक बहुत प्रभावित हुए और उन्हें इस्लाम की तरफ लाने में ये आयतें अहम साबित हुईं।