गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

पवित्र कुरआन ने मेरी प्यास बुझायी

मरयम जमीला (पूर्व नाम माग्रेट मारकस, अमेरिका)
    मोहतरमा मरयम जमीला न्यूयार्क (अमेरिका) के एक यहूदी परिवार में पैदा हुई। इस्लाम कबूल करने से पहले ही वे आम अमेरिकी व यहूदी औरतों से हटकर शिष्ट ढंग से जिन्दगी गुजार रही थीं। मुसलमान होने के बाद वे पाकिस्तान आ गयीं। उन्होंने इस्लाम पर अनेक पुस्तकों की रचनाएं की हैं। अब तक उनकी एक दर्जन से अधिक अंग्रेजी रचनाएं लोगों के सामने आ चुकी हैं।
अपने बारे में वे कहती हैं कि कुरआन से मेरा परिचय अजीब तरीके से हुआ। मैं बहुत छोटी थी जब मुझे संगीत से बहुत लगाव हो गया। बहुत -से गीतों और क्लासिकल रिकार्ड बहुत देर-देर त· मेरे कानों को लोरियां देते रहते। मेरी उम्र लगभग 11 वर्ष की थी, जब एक दिन सिर्फ इत्तिफाक से मैंने रेडियो पर अरबी संगीत सुन लिया, जिसने दिल व दिमाग को खुशी के एक अजीब एहसास से भर दिया। नतीजा यह हुआ कि मैं खाली समय में बड़े शौक से अरबी संगीत सुनती, यहां तक कि एक समय आया कि मेरी अभिरुचि ही बदल गयी। मैं अपने पिता के साथ न्यूयार्क के सीरियाई दूतावास में गयी और अरबी संगीत के बहुत- से रिकार्ड ले आयी।

मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

एक महिला डॉक्टर का इस्लाम स्वीकारना

डॉ. अमीना कॉक्सन इंग्लैण्ड
अमीना कॉक्सन का पैतृक नाम एन.कॉक्सन हैं। वे डॉक्टर और न्यूरोलॉजिस्ट हैं तथा लन्दन की हार्ट स्ट्रीट में उनका क्लीनिक है। उन्होंने विस्तृत अध्ययन और चिन्तन-मनन के पश्चात 1985 ई। में इस्लाम स्वीकार किया। लेखक हनी शाह ने इनसे डाक द्वारा इस्लाम ग्रहण करने का कारण पूछा और प्राप्त जानकारियों को अपनी उल्लेखनीय पुस्तक Why Islam is Our only Choice? में सुरक्षित कर दिया, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
मैं 11 अक्टूबर 1940 ई. को लन्दन के एक कैथोलिक घराने में पैदा हुई। मेरी मां एक बड़े धनी बाप की बेटी थी, जबकि पिता ब्रिटिश-अमेरिकन टुबैको कम्पनी के डायरेक्टर थे। हम दो भाई-बहन हैं। दोनों ने बोर्डिंग कैथोलिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। भाई आजकल अमेरिका में एक प्रसिद्ध व्यापारी हैं। उनके तीन बच्चे हैं और वे कैथोलिक ईसाइ की तरह आज भी पाबन्दी से चर्च जाते हैं। मेरे पिता को टुबैको कम्पनी की नौकरी के सिलसिले में 1945 ई. से 1953 ई. तक आठ साल का समय मिस्र मे गुजारना पड़ा।